क्या अरविन्द केजरीवाल की कुर्शी पर बैठना चाहिए ! आतिशी ने पूछा जनता से सवाल

आज मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी सँभाली है। आज मेरे मन में वो ही व्यथा है जो भरत के मन में थी जब उनके बड़े भाई भगवान श्री राम 14 साल के वनवास पर गए थे, और भरत जी को अयोध्या का शासन सँभालना पड़ा था। जैसे भरत ने 14 साल भगवान श्री राम की खड़ाऊँ रख कर अयोध्या का शासन सम्भाला, वैसे ही मैं 4 महीने दिल्ली की सरकार चलाऊँगी।

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क्या अरविन्द केजरीवाल की कुर्शी पर बैठना चाहिए ! आतिशी ने पूछा जनता से सवाल

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने अपने कार्यभार संभालने के दौरान एक विशेष कदम उठाया। उन्होंने अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया और इसके बजाय अपनी कुर्सी को केजरीवाल की कुर्सी के बगल में रखा। उनका कहना था कि “यह कुर्सी खाली रहेगी, इस कुर्सी पर अरविंद केजरीवाल ही बैठेंगे” आतिशी के इस निर्णय ने सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न की हैं। कुछ यूजर्स ने इसे एक सकारात्मक कदम माना, जबकि अन्य ने इसे राजनीतिक ड्रामा करार दिया। एक यूजर ने लिखा कि यह कदम उन्हें “भरत जैसा महान” बनाता है, जबकि कुछ ने मीम्स साझा करते हुए इसे “कुछ ज्यादा” बताया .इस स्थिति पर बीजेपी ने भी आलोचना की है, यह कहते हुए कि यह एक राजनीतिक संदेश देने का प्रयास है . इसके अलावा, एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में जनता से पूछा गया कि क्या आतिशी का यह कदम सही है, जिससे इस मुद्दे पर बहस और बढ़ गई है .इस प्रकार, आतिशी का निर्णय न केवल उनके कार्यभार संभालने का एक हिस्सा है, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति में एक नया विमर्श भी पैदा कर रहा है।

  • आतिशी का क्या मैसेज देना चाहती हैं

आतिशी का संदेश

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर न बैठकर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यह कुर्सी खाली रहेगी और अरविंद केजरीवाल का इंतजार करेगी, जिससे वह यह दर्शाना चाहती हैं कि केजरीवाल ही इस पद के असली हकदार हैं.

राजनीतिक संदर्भ

आतिशी ने इस कदम के माध्यम से यह भी संकेत दिया है कि वह आगामी चुनावों में केजरीवाल की वापसी की उम्मीद करती हैं। उनका कहना है कि “दिल्ली वाले फिर से अरविंद केजरीवाल को कुर्सी पर बिठाएंगे” और यह संदेश जनता तक पहुंचाना चाहती हैं.

सामाजिक प्रतिक्रिया

इस निर्णय पर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ लोगों ने इसे एक सकारात्मक और भावनात्मक कदम माना, जबकि अन्य ने इसे राजनीतिक ड्रामा करार दिया.निष्कर्षआतिशी का यह कदम न केवल उनके नेतृत्व को दर्शाता है, बल्कि यह आम आदमी पार्टी की रणनीति का भी हिस्सा है, जिसमें वे केजरीवाल को न्याय और ईमानदारी के प्रतीक के रूप में पेश करना चाहती हैं

आतिशी के इस कदम से क्या संदेश दिल्ली की जनता को मिल रहा है
आतिशी का कदम दिल्ली की जनता को क्या संदेश दे रहा है?
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर न बैठकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कुर्सी खाली रहेगी और केजरीवाल का इंतजार करेगी, जिससे वह यह दर्शाना चाहती हैं कि केजरीवाल ही इस पद के असली हकदार हैं.
आतिशी का कहना है कि अगले चुनाव में अगर आम आदमी पार्टी जीतती है तो केजरीवाल ही फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे
इस कदम से उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि वह आगामी चुनावों में केजरीवाल की वापसी की उम्मीद करती हैं।इस कदम से आतिशी ने यह भी दर्शाया है कि वह केजरीवाल के नेतृत्व में काम करने को प्राथमिकता देती हैं। उन्होंने केजरीवाल को अपना “गुरु” बताया है और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं की सराहना की है.इस प्रकार, आतिशी का यह कदम न केवल उनके नेतृत्व को दर्शाता है, बल्कि यह आम आदमी पार्टी की रणनीति का भी हिस्सा है, जिसमें वे केजरीवाल को न्याय और ईमानदारी के प्रतीक के रूप में पेश करना चाहती हैं। यह कदम दिल्ली की जनता को यह संदेश देता है कि केजरीवाल ही आने वाले समय में दिल्ली की कमान संभालेंगे।
आतिशी के इस वयान भाजपा और कांग्रेस ने कहा ये संबिधान का अपमान है !
कांग्रेस और भाजपा ने हाल ही में आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी के बयान को लेकर संविधान का अपमान मानते हुए प्रतिक्रिया दी है।कांग्रेस का बयान: कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आतिशी का यह कदम और उनके द्वारा केजरीवाल की कुर्सी को खाली छोड़ने का निर्णय संविधान का अपमान है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस तरह के बयान और कार्यवाही से संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का अपमान होता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कहना कि देश में “सांप्रदायिक नागरिक संहिता” है, आंबेडकर के प्रति घोर अपमान है, जो हिंदू पर्सनल लॉ में सुधारों के बड़े पैरोकार थे.भाजपा का बयान: भाजपा ने भी आतिशी के इस कदम को लेकर तीखी आलोचना की है। दिल्ली भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह कोई आदर्श पालन नहीं है, बल्कि इसे “चमचागिरी” करार दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद का अपमान करना संविधान का अपमान है.इस प्रकार, दोनों पार्टियों ने आतिशी के बयान और उनके कार्य को गंभीरता से लेते हुए इसे संविधान और उसके मूल्यों के खिलाफ बताया है।

 

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Author: UP Tak News

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