Ankita Murder Case: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने तीनों आरोपी को आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने हत्या का सच खोलकर न्याय की तरफ कदम बढ़ाए।
Ankita Murder Case: उत्तराखंड के ऋषिकेश में हुए बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने न्याय प्रक्रिया को अंतिम मंजिल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह रिपोर्ट स्पष्ट कर सकी कि अंकिता की मौत नहर में गिरने का कारण दुर्घटना नहीं, बल्कि उसे जबरदस्ती नहर में उसे फेंका गया था।
बचाव पक्ष ने “सडन एस्कलेरेशन ऑफ बॉडी” यानी शरीर का अचानक पानी में गिरना जैसी थ्योरी को खारिज करने का प्रयास किया। लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों और अपराध स्थल की जांच में मिले तथ्यों ने उनके तर्कों को कोर्ट में सही साबित नहीं होने दिया।
Ankita Murder Case में पुलिस को गुमराह करने की कोशिश
इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस को शुरू से ही कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। घटना का कोई विश्वसनीय गवाह भी नहीं था। रिजॉर्ट के सीसीटीवी कैमरे भी खराब थे। शुरुआत में कुछ कर्मचारी भी पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे। वहीँ 18 सितंबर 2022 की शाम अंकिता भंडारी के साथ क्या हुआ था? वह कैसे पानी में गिर गई? या अंकिता को नहर में किसने गिराया था? इन सभी सवालों का जवाब पुलिस और विशेषज्ञ ही दे सकते थे। 25 सितंबर को चीला नहर से मिले शव का पोस्टमार्टम हुआ। रिपोर्ट में अंकिता के साथ किसी भी तरह के दुष्कर्म का जिक्र नहीं था, जिसकी अफ़वाहें फैल रही थीं।
Ankita Murder Case में पीएम रिपोर्ट ने साफ की तस्वीर
अंकिता भंडारी के मॅर्डर केस में ऐसा माना जा रहा था। जैसे अपराधियों के बचाव में बचाव पक्ष इस बहुचर्चित अंकिता भंडारी के हत्याकांड को एक दुर्घटना के रूप में साबित करना चाहता हो और हत्याकांड को बचाव पक्ष इसे दुर्घटना भी साबित कर सकता है। लेकिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और क्राइम सीन विजिट रिपोर्ट जैसी मजबूत जानकारियों के सामने वह ऐसा नहीं कर पाया।
कोर्ट ने कहा – यह आपराधिक मानव वध है
अभियोजन ने भी 1991 के जाहर लाल बनाम ओडिशा राज्य के मुकदमे की दलीलें उठाई। इसमें कहा गया है कि अदालत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि साक्ष्यों की साख इस तरह से बनी हो कि हर परिस्थिति स्पष्ट हो। साक्ष्यों की पूरी श्रृंखला ऐसी होनी चाहिए कि अभियुक्त की निर्दोषता का संदेह दूर हो जाए। कोर्ट ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, क्राइम सीन की विजिट रिपोर्ट और मृतका के शरीर पर मिली चोटों के आधार पर ही वह पानी में गिरने की बात तय की गई।
अदालत ने यह भी कहा कि यही बात साबित करती है कि अंकिता भंडारी की मौत एक हत्या थी। यह आरोप इसलिए सही प्रतीत होता है क्योंकि इन सभी साक्ष्यों ने मिली-जुली जानकारी में उसकी हत्या का संकेत दिया।
फिसलकर गिरने के निशान या संकेत नहीं मिले थे
अंकिता भंडारी के मॅर्डर केस में फॉरेंसिक टीम ने क्राइम सीन की पुनः जांच की। और क्राइम सीन रिक्रिएट करने गई फॉरेंसिक की टीम ने पाया कि नहर की पटरी पर ऐसा कोई भी निशान मौजूद नहीं था, जिससे पता चले कि अंकिता भंडारी वहां से फिसल कर गिरी थी। बताया गया कि अंकिता भंडारी यहां सडन एस्कलरेशन ऑफ बॉडी के कारण नहर में गिरी है। इसका अर्थ है कि उसे तेज़ झटके के साथ पानी में धकेला गया। अंकिता भंडारी का शव मिलने के बाद पोस्टमार्टम किया गया। डॉक्टरों ने भी यह देखा कि शरीर पर कोई भी ऐसा निशान नहीं था, जिससे कि ज्ञात हो कि वह फिसल कर गिर गई।
अंकिता भंडारी पर अनैतिक कार्य का बना रहे थे दबाव
अंकिता भंडारी हत्या मामले में अदालत ने सजा के फैसले पर दोनों पक्षों को सुना। 19 मई को कोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद 30 मई को फैसला की तारीख तय की। अभियोजन पक्ष ने बताया कि अंकिता रिसॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट का काम करती थी। आरोपियों ने उससे पहले ही अनैतिक कार्य (एक्स्ट्रा सर्विस) का दबाव बनाया था। वे उससे अनैतिक कार्य करने को कह रहे थे। अभियोजन पक्ष ने कहा कि अंकिता इस काम का कड़ा विरोध कर रही थी और वह रिसोर्ट से जाना चाहती थी। आरोपियों को डर था। की कहीं इस बात को बाहर न बता दे, यह सोच कर आरोपी उसे ऋषिकेश ले गए। वह वापस नहीं लौटी। छह दिन बाद उसका शव चिला नहर से मिला। अदालत ने कहा कि आरोपियों ने उसे जानबूझकर मारा। सभी तथ्यों को देखते हुए तीनों को दोषी माना गया।
अंकिता की मां ने कहा – फांसी होनी चाहिए, हाईकोर्ट जाएंगे
जैसे ही अदालत ने अंकिता के हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, मां की आंखों से आंसू बह निकले। सोनी देवी ने कहा, तीनों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी। इसके लिए हम हाईकोर्ट जाएंगे। दोपहर करीब तीन बजे अंकिता के पिता बीरेंद्र सिंह और मां सोनी देवी कोर्ट से बाहर आए। मीडिया से बात करते हुए सोनी देवी ने साफ कहा कि वह सजा से पूरी तरह खुश नहीं हैं, पर बेटी की आत्मा को शांति मिली होगी। (अमर उजाला डेस्क की रिपोर्ट)
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