EWS News: दिल्ली के दिलशाद गार्डन इलाके में एक दर्दनाक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया. यहां एक फ्लैट में रह रहे भाई-बहन ने आत्महत्या कर ली। मृतकों की पहचान वीरेश तोमर और प्रीति तोमर के रूप में हुई है, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद के फतेहपुर चक गांव के निवासी थे। जानते है पूरी खबर को बिस्तार से
UP TAK NEWS | बागपत हिंदी न्यूज़:दिल्ली के दिलशाद गार्डन इलाके में एक दर्दनाक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। यहां एक फ्लैट में रह रहे भाई-बहन ने आत्महत्या कर ली। मृतकों की पहचान वीरेश तोमर और प्रीति तोमर के रूप में हुई है, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद के फतेहपुर चक गांव के निवासी थे। घटना के बाद उनके गांव में मातम छा गया है और परिवार गहरे सदमे में है।
EWS News: कठिन परिश्रम टूटता सपना और सिस्टम
हमें EWS छात्रों के संगठन के लोगों ने बताया कि कि वीरेश कुमार और प्रीति कुमारी — भाई-बहन, सामान्य वर्ग के निर्धन ‘तोमर’ समुदाय से, जिन्होंने वर्ष 2024 की UPSC प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की, मेहनत से मुख्य परीक्षा भी लिखी… लेकिन जब परिणाम आया तो पता चला कि वे अंतिम सूची में नहीं आ सके। यह उनका अंतिम प्रयास था। उनके माता-पिता पहले ही इस दुनिया को छोड़ चुके थे। इस कठिन संघर्ष में केवल एक-दूसरे का सहारा थे। लेकिन सिस्टम की नाइंसाफी ने उनकी उम्मीदें तोड़ दीं। अगर सामान्य वर्ग के गरीब ‘EWS’ युवाओं को भी OBC की तरह आयु और प्रयास में छूट मिलती, तो शायद आज वो दोनों हमारे साथ होते।
ये आत्महत्या नहीं, सिस्टम की बेरहमी से हुआ एक ‘नीतिगत हत्या’ है।
EWS जो की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कहलाता है उसके छात्रों और छात्र संगठन का कहना है की ये आत्महत्या नहीं, सिस्टम की बेरहमी से हुआ एक ‘नीतिगत हत्या’ है। जब संविधान सबके लिए समानता की बात करता है, तब सामान्य वर्ग के गरीब युवाओं को दोयम दर्जे का क्यों माना जाता है?
छात्रों और छात्र संगठन का कहना है — क्या गरीब सामान्य वर्ग के युवाओं की कोई कीमत नहीं? क्या उनके सपनों की कोई अहमियत नहीं? अगर OBC को 3 साल की छूट मिल सकती है, SC-ST को 5 साल, तो EWS को क्यों नहीं?
आज ये सवाल हम सबके सामने खड़ा है। अगर EWS को आयु और प्रयास में समान छूट मिलती तो वीरेश और प्रीति आज ज़िंदा होते। अब भी अगर सरकार नहीं जागी, तो ऐसे और सपने यूँ ही दम तोड़ते रहेंगे।
हमारी मांग है —EWS को OBC के समकक्ष आयु और प्रयास की छूट दी जाए।
यही सच्चा न्याय होगा। यही संवैधानिक समानता होगी।
यूपीएससी में असफलता बनी आत्महत्या का कारण
परिजनों के अनुसार, दोनों भाई-बहन लंबे समय से यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. हाल ही में आए परिणाम में दोनों असफल हो गए थे, जो उनके लिए आखिरी मौका था. इस असफलता से वे मानसिक रूप से टूट गए थे. वीरेश और प्रीति के करीबी लोगों का कहना है कि वे पिछले कुछ समय से गहरे तनाव में थे.
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Author: UP Tak News
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