Kedarnath Helicopter Crash: केदारनाथ हेलिकॉप्टर दुर्घटना में सात यात्रियों की मौत हो गई थी। उनमें से छह शव इतनी आग की चपेट में आए थे कि पहचान करना मुश्किल हो गया था। बचाव अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस के साथ कई अन्य जवानों ने ज़रूरी भूमिका निभाई।
यूपी तक न्यूज़, उत्तराखंड : धुंआ, चीखें और राख से ढकी केदारनाथ की शांत घाटी फिर से गूंज उठी। हेलिकॉप्टर हादसे में कई घरों का आराम टूट गया। 23 महीनों की मासूम काशी, फैशन डिजाइनर छात्रा तुष्टि, अपने बच्चों का इंतजार कर रहे विक्रम, और दो महीने पहले जुड़वा बच्चों के पिता बने पायलट—all की मंजिल वहीं रुक गई। मां की जिद पर नानी संग गई तुष्टि अब कभी लौट नहीं आएगी। धुएं और राख के बीच 44 जवानों ने जली हुई वहां सात लाशें उठाई, लेकिन जख्म इतने गहरे हैं कि पूरा केदारनाथ फिर से दर्द में डूब गया है।
हेलिकॉप्टर हादसे के बाद बचाव अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस के जवानों ने बड़ी मेहनत की। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि सुबह 6.15 बजे घटना की जानकारी मिलते ही सभी रेस्क्यू दल को तुरंत भेज दिया गया। लगभग एक घंटे में वे मौके पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू के दौरान एनडीआरएफ के 22, एसडीआरएफ के 8, डीडीआरएफ के 6 और पुलिस के 8 जवान लगे। सभी शवों को खराब रास्ते से गौरीकुंड तक लाया गया।
Kedarnath Helicopter Crash: हादसे में दादी-नातिन की दर्दनाक मौत
उत्तर प्रदेश के बिजनौर से विनोदा देवी अपनी नाती तुष्टि सिंह के साथ बीते शनिवार को केदारनाथ गई थीं। उन्होंने वहां बाबा केदार नाथ के दर्शन किए। और रविवार को वह हेलिकॉप्टर की पहली शटल से गुप्तकाशी वापस लौट रही थीं। इस यात्रा के दौरान प्लेन हादसे में उनकी मौत हो गई।
तुष्टि का जाने का मन नहीं था, नानी के साथ माँ ने जबरन भेजा था
13 जून को बिजनौर के नगीना से वकील धर्मपाल सिंह अपनी पत्नी विनोदा देवी, नातिन तुष्टि, पोते ईशान और गोरांश के साथ घर से केदारनाथ की यात्रा पर निकले। शनिवार को उन्होंने भगवान की पूजा की और दर्शन किए।
रविवार को वह हेलिपैड पर पहुंचे, लेकिन वहां हेलिकॉप्टर में सिर्फ दो सीटें थीं। विनोदा देवी और तुष्टि को वहीं बैठाया गया। धर्मपाल सिंह अपने दोनों पोतों के साथ वहीं रुके, पर जल्द ही खबर आई कि हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया है। सब लोग मारे गए हैं। उसके बाद धर्मपाल सिंह अपने पोतों के साथ पैदल ही केदारघाटी जाने लगे।
खबर मिली कि तुष्टि यात्रा के लिए नहीं आना चाहती थी। उसकी माँ ने जबरदस्ती उसे साथ भेजा क्योंकि वह दिल्ली में फैशन डिजाइनिंग सिख रही थी। शर्मा ने बताया कि जब वे हादसे के पास पहुंचे, तो एक बच्ची गिर पड़ी थी। वह जिंदा नहीं थी। शायद हेलिकॉप्टर से गिरकर जमीन में बड़े पत्थर से टकराई, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। हादसा इतना भीषण था कि आग की लपटों से सब कुछ धुंधला दिख रहा था। आवाजें भी नहीं सुनाई दे रही थीं।
केदारनाथ आपदा के बारह वर्ष बाद भी हालात नाजुक
16 और 17 जून 2013 को केदारनाथ त्रासदी को पूरे बारह साल हो गए हैं, लेकिन हालत अभी भी खराब हैं। केदारघाटी के पुराने घाव नहीं भरे हैं, और समय-समय पर नई चोटें दर्द को और बढ़ा रही हैं। केदारनाथ तक आसान और सुलभ रास्ता बनाने के दावे भी झूठे लगते हैं। आपदा की सालगिरह से एक दिन पहले ही गौरीकुंड के गौरी माई खर्क में हेलिकॉप्टर क्रैश ने एक बार फिर पुराने जख्मों को ताजा कर दिया है। पिछले तीन सालों में यह तीसरी बार है कि हेलिकॉप्टर हादसा हुआ है, जिसमें सात लोग मारे गए हैं। मौसम को इसका कारण माना जाता है, लेकिन असल में यह हेलिकॉप्टरों की लापरवाही का नतीजा है। कंपनियां फायदे के पीछे पायलट और यात्रियों की जिंदगी दांव पर लगा रही हैं। केदारघाटी में अभी तक आपदा के बारह साल बाद भी सुरक्षा का इंतजाम नहीं हो पाया है। कोई ठोस योजना तक नहीं बन सकी है।
जुड़वा बच्चों के पिता बने थे पायलट राजवीर सिंह चौहान
रविवार को आर्यन हेली कंपनी का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हेलिकॉप्टर के पायलट, लेफ्टिनेंट कर्नल (सेनि) राजवीर सिंह चौहान, दो महीने पहले ही पिता बने थे। उनकी पत्नी दीपिका भी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर हैं। रविवार सुबह राजवीर सिंह चौहान पहली फ्लाइट से गुप्तकाशी से केदारनाथ गए। जैसे ही वे यात्रियों को लेकर वापसी की उड़ान भर रहे थे, तभी हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। आसपास के लोगों के अनुसार, पायलट ने हेलिकॉप्टर को सुरक्षित जगह पर लाने की कोशिश की, लेकिन पंखों का टकराव पेड़ों से हुआ और वह गिर गया। बताया जा रहा है कि चौहान इसी साल आर्यन कंपनी से जुड़े थे, और उनके पास केदारनाथ उड़ान का 80 घंटे से ज्यादा का अनुभव था। वहीं, उनकी पत्नी, जो जयपुर में रहती हैं, सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर काम करती हैं। राजवीर सिंह चौहान दो महीने पहले ही पिता बने थे।
23 महीने की काशी की पहली और आख़िरी केदार यात्रा
महाराष्ट्र से बाबा केदार के दर्शन करने आए राजकुमार सुरेश जयसवाल और उनकी पत्नी श्रद्धा जयसवाल पहली बार केदारनाथ पहुंचे, उनके साथ उनकी 23 महीने की बेटी काशी भी थी। उन्होंने शनिवार को केदारनाथ में बाबा की पूजा की और अपने बच्चे का भी जलाभिषेक कराया। रविवार की सुबह वे जल्दी ही वापसी के लिए तैयार हो गए। हेलिकॉप्टर जैसे ही केदारनाथ पहुंचा, वे अपनी बेटी को गोद में लेकर हेलिपैड पर चले गए। काशी, अपनी मां की गोद में सोई हुई थी, जब हेलिकॉप्टर उड़ा। अचानक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। जैसे ही क्रैश हुआ, काशी सीधे जमीन पर पत्थरों पर गिर गई, जिससे उसकी मौत हो गई।
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