छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों के आईईडी धमाके में राज्य पुलिस के 8 जवान शहीद हो गए। ये जवान डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) का हिस्सा थे। उन्हें एंटी-नक्सल ऑपरेशन से लौटते समय निशाना बनाया गया। यह विशेष टीम नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनाई गई थी। जब छत्तीसगढ़ सरकार को लगा कि मौजूदा सुरक्षा बल माओवादियों को खत्म करने में नाकाम हैं, तब डीआरजी नाम की एक नई यूनिट बनाई गई थी।
छत्तीसगढ़ की सरकार ने फैसला किया कि नक्सलियों में से ही एक नई फोर्स बनाई जाएगी। इस फोर्स में वे लोग शामिल किए जाएंगे जो नक्सलियों के बारे में अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे लोग नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ने में मदद कर सकते हैं। उस समय नक्सलियों का नेटवर्क हर जगह फैला हुआ था। किसी भी घटना की जानकारी उन्हें तुरंत मिल जाती थी।
DRG के शहीद जवानों के नाम
छत्तीसगढ़ की सरकार ने निर्णय लिया कि नक्सलियों के बीच से एक विशेष बल बनाया जाए। इसका मतलब है कि ऐसे लोगों को शामिल किया जाए जो नक्सलियों के कामकाज से अच्छी तरह वाकिफ हैं। ये लोग ही नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ सकते हैं। उस समय नक्सलियों का नेटवर्क हर गली और मोहल्ले में फैला हुआ था। किसी भी घटना की सूचना तुरंत नक्सलियों तक पहुंच जाती थी।
2008 में किया गया था डीआरजी का गठन –
नक्सली अक्सर बड़े हमले और हत्या करते थे और फिर भाग जाते थे। उन्हें पकड़ना आसान नहीं था। इसलिए, सरकार ने डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) बनाई। इसकी शुरुआत 2008 में नारायणपुर से हुई। उसी साल और जवानों की भर्ती की गई। आखिरी भर्ती 2013 में सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में हुई।
डीआरजी में स्थानीय युवाओं को शामिल किया जाता है। ये युवा अपनी भाषा और इलाके को अच्छे से जानते हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को भी डीआरजी में शामिल किया जाता है, ताकि वे अपने पुराने साथियों की योजनाओं को समझ सकें। वर्तमान में, डीआरजी में लगभग 2 हजार जवान हैं। ये लगातार जंगलों में माओवादियों की खोज करते रहते हैं। जब मुठभेड़ होती है, तो डीआरजी हमेशा आगे रहती है।
एंटी-नक्सल ऑपरेशन से लौट रहे थे डीआरजी जवान
बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज ने बीजापुर में हालिया हमले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले तीन दिनों से नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर में नक्सल विरोधी अभियान चल रहा था। इस दौरान पांच नक्सलियों के शव मिले और एक जवान शहीद हुआ। जब टीम लौट रही थी, तब बीजापुर के अंबेली क्षेत्र में नक्सलियों ने आईईडी विस्फोट किया। इस हमले में दंतेवाड़ा की डीआरजी के आठ जवान और एक ड्राइवर शहीद हो गए।
एक अधिकारी के अनुसार, यह नक्सलियों का सुरक्षा बलों पर पिछले दो वर्षों में सबसे बड़ा हमला है। इससे पहले 26 अप्रैल, 2023 को, दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के एक काफिले पर हमला किया, जिसमें एक वाहन को उड़ा दिया गया। इस घटना में दस पुलिसकर्मी और एक नागरिक चालक की जान चली गई।
डीआरजी का फ़ुल फ़ॉर्म है – डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड. (DRG) यह एक फ़ोर्स है जिसका गठन सरकार ने किया है. इसका मकसद माओवादियों की तलाश करना और मुठभेड़ों में सबसे आगे रहना होता है. डीआरजी में स्थानीय युवाओं को भर्ती किया जाता है, जो स्थानीय भाषा और भौगोलिक परिस्थितियों से वाकिफ़ होते हैं. इसके अलावा, सरेंडर कर चुके नक्सलियों को भी डीआरजी में भर्ती किया जाता है. ताकि, वे अपने पुराने साथियों के तरीकों को समझ सकें.
DRG – डीआरजी से जुड़ी कुछ और खास बातेंः
- साल 2008 में नारायणपुर में सबसे पहले डीआरजी का गठन किया गया था.
- साल 2013 में सुकमा, दंतेवाड़ा, और बीजापुर में डीआरजी में भर्तियां की गई थीं.
- वर्तमान में डीआरजी में करीब 2,000 जवान हैं.
- डीआरजी लगातार जंगलों में माओवादियों की तलाश करते रहते हैं.
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Author: UP Tak News
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