झारखंड हाई कोर्ट ने कोयला चोरी के आरोपों पर दायर याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और सीबीआई जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सबूत जांच के योग्य हैं। इस मामले में पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।
सीबीआई धनबाद पुलिस पर कोयला चोरी के आरोपों की जांच करेगी। यह आदेश हाई कोर्ट ने दिया है। सरकार के द्वारा पेश किए गए तर्कों को अस्वीकार कर दिया गया है।
- न्यायालय ने कहा- सभी साक्ष्य जांच योग्य, सीबीआई जांच जरूरी
- तत्कालीन एसएसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारियों की होगी जांच
UP TAK NEWS, रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने धनबाद में कोयला चोरी और पुलिस की भूमिका की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है। जस्टिस एसके द्विवेदी ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सभी सबूत जांच के लिए मान्य हैं।
यह मामला राज्य के एक महत्वपूर्ण संसाधन, कोयले की चोरी से जुड़ा हुआ है। इसकी जांच सीबीआई द्वारा करानी चाहिए। अगर जांच में तथ्य सही निकलते हैं, तो सीबीआई आगे की कार्रवाई कर सकती है।
कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला
झारखंड उच्च न्यायालय ने सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक उच्चस्तरीय जांच करने का आदेश दिया है, जिन्हें इस मामले में प्रतिवादी बनाया गया था। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद, न्यायालय ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था।
इस संबंध में एक निजी समाचार चैनल के संचालक अरूप चटर्जी ने याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया है कि उन्होंने धनबाद में कोयला चोरी को लेकर प्राथमिकी कराई थी। जिसमें विभिन्न कोलियरी से कोयला चोरी होने और अवैध व्यापार करने का आरोप लगाया था।
इस में तत्कालीन एसएसपी श्री संजीव कुमार सहित और अन्य पुलिस अधिकारियों को नामजद आरोपित बनाया गया है। कोयला चोरी को लेकर प्रार्थी की ओर से सभी साक्ष्य भी देते हुए कहा गया है कि धनबाद में कोयला चोरी को लेकर एक प्रकार से सिंडिकेट काम कर रहा है।
कोयले के अवैध धंधे का आरोप
इसके माध्यम से कोयला का अवैध कारोबार किया जा रहा है। इसकी कमाई अधिकारी, पुलिस, अपराधी और अन्य के बीच बांटी जाती है। पूर्व में सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष बीसीसीएल (BCCL) की ओर से प्रमुख प्राथमिकी के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे।
कहा गया कि बीसीसीएल के अधिकारी कोयला चोरी करने से संबंधित प्राथमिकी कराते हैं, लेकिन जानबूझ कर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। प्रार्थी की ओर से इसको लेकर प्राथमिकी के उपयुक्त आवेदन पर जानबूझकर कोई भी कार्रवाई नहीं करने पर न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी।
सरकार ने कहा, याचिका सुनवाई योग्य नहीं
सुनवाई में प्रतिवादियों की ओर से पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। पुलिस अधिकारियों के खिलाफ धनबाद में कोयले चोरी के इस अवैध व्यापार में वसूली का आरोप बे बुनियाद बताया गया हैं।
प्रार्थी के आवेदन पर पुलिस ने विभिन्न स्तर पर कार्रवाई की है। इसके अलावा प्रार्थी इस मामले में पीड़ित नहीं है। प्रार्थी के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की है, इसीलिए पुलिस को उसने फंसाने के उद्देश्य लिए उसने अपनी प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया है।

Author: UP Tak News
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