भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। जानिए इस मिसाइल की खासियतें क्या हैं। भारत ने अपनी लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि कहा है और इसे भारत का एक ऐतिहासिक क्षण बताया है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल की दूरी 1500 किलोमीटर से अधिक है। यह मिसाइल हवा, समुद्र और ज़मीन से दुश्मनों पर हमला कर सकती है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) इस हाइपरसोनिक मिसाइल पर लंबे समय से काम कर रहा है। 2020 में, डीआरडीओ ने एक हाइपरसोनिक तकनीक प्रदर्शित करने वाले वाहन (एचएसटीडीवी) का सफल परीक्षण किया।
भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइलके सफल परीक्षण के बाद अब उन गिने-चुने देशों में जगह बना ली है, जिनके पास यह उन्नत तकनीक है।
क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल
In such a situation, the question arises that what is the X factor of hypersonic missile?
हाइपरसोनिक मिसाइल से मतलब उन मिसाइलों से है, जो आवाज़ की गति से पाँच गुना तेज़ रफ़्तार से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं.
सबसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति को नहीं पार कर पातीं, जबकि सुपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की गति से दो से तीन गुना तेज चल सकती हैं।
रक्षा विशेषज्ञ एयर कमोडोर (डॉ.) अशमिंदर सिंह बहल (सेवानिवृत्त) ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में समझाया कि हाइपरसोनिक मिसाइल पहले लगभग 100 किलोमीटर की ऊँचाई तक जाती है, जिसका अर्थ है कि यह धरती के वायुमंडल को पार कर रही है।
उन्होंने बताया कि जब यह मिसाइल वायुमंडल से स्पेस में जाती है, तब यह क्रूज फेज में रहती है, और फिर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है। एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या हाइपरसोनिक मिसाइल पर न्यूक्लियर वॉर हेड लगाया जा सकता है।
इसका उत्तर देते हुए रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी ने कहा कि हाइपरसोनिक मिसाइल पर दोनों, परंपरागत और न्यूक्लियर वॉर हेड, लगाए जा सकते हैं।
In such a situation, the question arises that what is the X factor of hypersonic missile?
वे कहते हैं, “इस मिसाइल की रेंज क़रीब 1700 किलोमीटर है और इसे गेम चेंजर की तरह देखा जा रहा है.”
बहल का कहना है कि भारत को हाइपरसोनिक मिसाइल को सक्रिय करने में दो से तीन साल लग सकते हैं। वे इसे कार बनाने के प्रक्रिया से तुलना करते हैं, जिसमें पहले प्रोटोटाइप तैयार किया जाता है, फिर उसका परीक्षण होता है, और अंत में इसे उत्पादन में लाया जाता है। इसी तरह, इस मिसाइल के संचालन में लाने के लिए भारत को भी कुछ समय चाहिए।
हाइपरसोनिक मिसाइल का ‘एक्स फ़ैक्टर’
हाइपरसोनिक हथियारों को उनका विशेष दर्जा सिर्फ़ उनकी स्पीड से ही नहीं मिलता है, क्योंकि स्पीड के मामले में बैलिस्टिक मिसाइल भी ध्वनि की गति से तेज़ चलती हैं.
इस पर सवाल है कि हाइपरसोनिक मिसाइल का असली महत्व क्या है?
रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी के अनुसार, यह सबसे नई मिसाइल तकनीक है। वे बताते हैं कि हाइपरसोनिक मिसाइल इतनी तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है कि इसे एंटी मिसाइल सिस्टम द्वारा पकड़ा नहीं जा सकता।
हाइपरसोनिक मिसाइल का असली महत्व क्या है? रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि यह एक नई और तेज़ मिसाइल तकनीक है। वे कहते हैं कि हाइपरसोनिक मिसाइल इतनी तेज़ होती है कि एंटी मिसाइल सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाते। दूसरी तरफ, विशेषज्ञ बहल के अनुसार, हाइपरसोनिक मिसाइलें बैलिस्टिक मिसाइलों की तरह ऊँचाई पर नहीं चलतीं, जिससे उनके लक्ष्य को पहचानना बहुत मुश्किल हो जाता है।
वे बताते हैं कि अमेरिका का ‘थाड’ और इसराइल का ‘आयरन डोम’ भी इन मिसाइलों को नहीं रोक पाते हैं, क्योंकि इनकी रेंज 250 किलोमीटर तक ही होती है। बहल का कहना है कि हाइपरसोनिक मिसाइल को पहचानना भी आसान नहीं है, क्योंकि उसे खत्म करने के लिए समान गति से चलने वाली मिसाइल चाहिए। इसके लिए किसी देश को एरो-3 सिस्टम की आवश्यकता होगी, जिसकी रेंज लगभग 2500 किलोमीटर है।
राहुल बेदी के अनुसार, वर्तमान में हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करने के बाद उनकी दिशा नहीं बदली जा सकती।
कौन-कौन से देशों के पास हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं?
हाइपरसोनिक मिसाइलें केवल कुछ देशों के पास हैं। विशेषज्ञ बहल का मानना है कि केवल चीन और रूस के पास ये मिसाइलें हैं, जबकि भारत और अमेरिका इसे विकसित करने में लगे हैं।
उनका कहना है, “कुछ अन्य देश भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का दावा करते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। अगर भारत इसे हासिल कर लेता है, तो वह दुनिया का तीसरा देश होगा, जिसके पास यह तकनीक होगी।”
राहुल बेदी का कहना है कि हाइपरसोनिक मिसाइलें रूस, चीन, भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और ब्राज़ील के पास भी हैं। ईरान भी कहता है कि उसने हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित की है।
रूस ने पहले ही अपनी किंजल मिसाइल का यूक्रेन युद्ध में उपयोग किया है, क्योंकि इन्हें पकड़ना बहुत मुश्किल है। मार्च 2022 में, उन्होंने यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में एक भूमिगत हथियार डिपो को हाइपरसोनिक मिसाइल से लक्ष्य बनाया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में ईरान द्वारा इसराइल पर किए गए मिसाइल हमलों में भी हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ था। ईरान का कहना है कि उसने फ़तह मिसाइल को हाइपरसोनिक के रूप में प्रस्तुत किया है, जो बैलिस्टिक और क्रूज़ दोनों वर्गों में आती है।
ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) का कहना है कि उनकी ‘अल-फ़तह’ हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 1400 किलोमीटर है और यह सभी रक्षा प्रणालियों को मात देने की क्षमता रखती है। इसके अलावा, उत्तर कोरिया ने 2021 में एक मिसाइल परीक्षण किया, जो उसके नेता किम जोंग उन की निगरानी में था। उत्तर कोरिया ने दावा किया कि यह एक हाइपरसोनिक मिसाइल थी, जो 1000 किलोमीटर दूर सटीकता से अपने लक्ष्य पर गिरी थी।
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