Bihar BPSC Protest: “वर्ष 2024 में हमारी परीक्षा है, लेकिन 2025 में नीतीश सरकार की परीक्षा होगी।”
“Bihar BPSC Protest: दिसंबर में बीपीएससी, यानी बिहार लोक सेवा आयोग, के परीक्षार्थियों पर तीन बार लाठीचार्ज हो चुका है। रविवार को पटना में हुई एक घटना में, एक परीक्षार्थी अपने घायल दोस्त को सहारा देते हुए बहुत ही परेशान होकर पूछता है, “भाई, क्या छात्र सिर्फ लाठियां खाने के लिए बने हैं?” पास में खड़ा एक और परीक्षार्थी, जिसका कपड़ा पूरी तरह फटा हुआ है, रोते हुए कहता है,”
“हमें कभी नहीं लगा था कि जो लोग परीक्षा पास करते हैं, वे हमारे साथ ऐसा बुरा व्यवहार करेंगे।” दरअसल, 18 दिसंबर से सभी 912 परीक्षा केंद्रों की दोबारा प्रारंभिक परीक्षा की मांग को लेकर बीपीएससी परीक्षार्थी पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर आंदोलन कर रहे हैं।
वे अपनी इसी मांग के तहत रविवार को पटना के गांधी मैदान में गांधीजी की मूर्ति के नीचे संसद लगाना चाहते थे। बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गांधी मैदान में रविवार सुबह से परीक्षार्थी इकट्ठा होने लगे। लेकिन उन्हें इस कार्यक्रम के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं मिली। सुरक्षा के कारण प्रशासन ने गांधी मैदान के सभी बड़े गेट बंद कर दिए।
सिर्फ़ पैदल आने-जाने वाले छोटे गेट को छोड़कर.
परीक्षा देने वाले छात्र गेट नंबर 5 के पास इकट्ठा हो रहे थे। वे मीडिया वालों से अपनी खबरें दिखाने का अनुरोध कर रहे थे। कुछ छात्र कह रहे थे कि आज उन्हें फिर से लाठी का सामना करना पड़ेगा।
मुझे इस भीड़ में स्वाति मिली.
एक दुबली, युवा लड़की गुस्से में भरी हुई कहती है, “साल 2024 में हमारी परीक्षा है, लेकिन नीतीश कुमार की परीक्षा 2025 में होगी। अगर हमारी बातें नहीं सुनें गए, तो उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा।” स्वाति के शब्द वहां मौजूद युवा लोगों की सोच को दर्शाते हैं। सभी वर्तमान व्यवस्था से नाखुश थे और बीपीएससी और सरकार की आलोचना कर रहे थे।
गवर्नमेंट ‘वीक’, पेपर ‘लीक’ Bihar BPSC Protest: छात्रों का एक समूह गांधी मैदान के गेट नंबर 5 के पास पहुंच रहा था। प्रशासन ने उन्हें पतले बांसों से रोका हुआ था। पटना प्रशासन बार-बार माइक पर कह रहा था कि छात्र संसद लगाने की अनुमति नहीं है और उन्हें लौट जाने को कहा जा रहा था। लेकिन परीक्षार्थी इस सूचना को नजरअंदाज कर रहे थे। वे तख्तियां लेकर नारेबाजी कर रहे थे और यूट्यूबर्स के मोबाइल और कैमरों में कैद हो रहे थे। पुलिस के साथ उनकी कई बार बहस हो चुकी थी।
सूरज की तेज धूप बढ़ रही थी और विद्यार्थियों की भीड़ और नारों का शोर भी जारी था। पुलिस के लिए उन्हें नियंत्रित रखना मुश्किल हो रहा था, और फिर बैरिकेडिंग हटा दी गई। अपनी पहली जीत की खुशी में, परीक्षार्थी गांधी मैदान में लगी बड़ी गांधी मूर्ति की ओर बढ़े।
उत्साहित अमित कुमार ने कहा, “आज हम नीतीश कुमार से एग्जाम रद्द करवाने का ऐलान लेकर ही जाएंगे।”
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छात्रों ने संसद का आयोजन किया – बच्चों की ज़िंदगी का सही हाल बताएँ।
70 फीट ऊंची गांधी की मूर्ति के नीचे लगी छात्र संसद का निर्माण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में 2013 में किया गया था। इस मूर्ति में महात्मा गांधी दो बच्चों के साथ हैं।
छात्र संसद की सदस्य खुशबू कुमारी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बच्चों के साथ बापू की मूर्ति स्थापित कर दी, लेकिन यहां मौजूद बच्चों की हालत देखने का समय उन्हें नहीं मिला है। हमारे गार्जियन वही हैं। गांधी मूर्ति के नीचे, परीक्षा देने वाले छात्र लगातार नारे लगाकर फिर से परीक्षा की मांग कर रहे थे। इसी बीच, जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर आने वाले थे। उन्होंने पहले ही इस छात्र संसद में छात्रों के साथ बैठने का वादा किया था। छात्र संसद में मौजूद जनसुराज के कार्यकर्ता गांधी मैदान के गेट बंद होने से चिंतित नजर आ रहे थे।
लगभग एक बजे प्रशांत किशोर वहां पहुंचे, और परीक्षार्थियों का ध्यान उनकी ओर खींचा गया। गांधी की मूर्ति के चबूतरे पर बैठे छात्र थके नहीं थे। ऐसा लग रहा था कि एक रिले रेस चल रही है। एक छात्र नारे लगाने में थकता तो दूसरा उसकी जगह ले लेता। वहीं, गांधी मूर्ति के पास नींबू चाय, बोतलबंद पानी, इडली और केले के चिप्स जैसी चीजें बिक रही थीं। ये सामान बेचने वाले कुछ युवा थे और कुछ वयस्क।
परीक्षार्थियों की गोरिल्ला रणनीति
चार बजे तक छात्रों ने तय कर लिया था कि वे प्रशांत किशोर के नेतृत्व में सीएम हाउस का घेराव करेंगे। जैसे ही यह निर्णय लिया गया, कुछ युवाओं ने हैंड लाउडस्पीकर उठाकर स्थिति संभाल ली। गांधी मैदान में एक पुलिसवाले ने, जो फाइबर स्टिक लिए खड़ा था, बीबीसी को बताया कि वे भी इसी तरह की स्थिति में नौकरी के लिए आए हैं।
छात्रों की एक बड़ी संख्या गांधी मैदान के गेट नंबर पांच से बाहर आकर बिस्कोमान भवन के सामने पहुंच गई थी। वहां पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया। गांधी मैदान के आसपास यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया। तभी परीक्षार्थियों का एक समूह गोरिल्ला रणनीति का इस्तेमाल करते हुए छज्जूबाग से आया और पटना पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ दी।
परीक्षार्थी अब जेपी गोलंबर पर थे, लेकिन प्रशासन ने आगे मजबूत बैरिकेडिंग की थी। परीक्षार्थी सड़क पर बैठकर धरना दे रहे थे। उनके साथ प्रशांत किशोर और जनसुराज पार्टी के कई नेता भी थे।
धरने पर बैठी नाज प्रवीण ने सवाल उठाया कि बीपीएससी अपनी परीक्षाओं में पारदर्शिता क्यों नहीं लाती। उसने कहा कि अगर पारदर्शिता होगी और वह सक्षम होगी, तो वह खुद परीक्षा देगी। पर अब बीपीएससी 12,000 छात्रों की अलग से परीक्षा लेकर नॉर्मलाइजेशन लागू करने जा रही है।
‘ये सब अपनी राजनीति करने आते हैं’
शाम होते-होते ठंड बढ़ने लगी। सड़कों पर हजारों परीक्षार्थी बैठे थे। सुबह से प्रदर्शन कर रहे छात्र थक चुके थे, और नारों की आवाज भी धीमी पड़ गई थी।
जेपी गोलंबर के पास, बीपीएससी परीक्षार्थी चाय की दुकानों पर शाम की चाय पी रहे थे। दूसरी तरफ, पुलिसवाले हर आने-जाने वालों पर नजर रख रहे थे। कुछ जवान छात्रों के पक्ष में थे, जबकि कुछ उनके खिलाफ।
एक पुलिसवाले ने टिप्पणी की, “स्टूडेंट होना अब बहुत मुश्किल हो गया है।”
लगभग सात बजे प्रशांत किशोर लौट रहे थे। उन्होंने मीडिया से कहा, “हमारे संघर्ष का फल है कि राज्य के मुख्य सचिव पहली बार परीक्षार्थियों से मिलने को तैयार हुए हैं। अगर कोई नतीजा नहीं निकला, तो फिर बातचीत होगी।”
प्रशांत किशोर जाते ही, अफरा-तफरी में परीक्षार्थी चंदन कुमार ने कहा, “ये सब अपनी राजनीति करने आते हैं। ये भी भाग गए।”
इस बीच, पटना सेंट्रल की एसपी स्वीटी सहरावत ने परीक्षार्थियों को वापस जाने के लिए कहा। आपके नेता आपको छोड़कर जा चुके हैं…
स्वीटी सहरावत ने बताया कि मुख्य सचिव से मिलने के लिए पांच छात्रों का एक दल मांगा गया है, लेकिन किसी ने अभी तक नाम नहीं दिए हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की, फिर भी उन्हें यहीं रोका गया है। उनके नेता उन्हें छोड़कर चले गए हैं। सहरावत ने अपील की कि वे यह स्थान छोड़ दें।
फिर भी, परीक्षार्थी पीछे हटने को तैयार नहीं थे। अंत में, रात आठ बजे पुलिस ने पानी की बौछार का इस्तेमाल किया।
पुलिस ने परीक्षा देने वालों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए। कुछ छात्रों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया।
पटना प्रशासन ने देर रात एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इसमें बताया गया कि जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर और अध्यक्ष मनोज भारती सहित 21 नामजद और 600 अज्ञात लोगों के खिलाफ गांधी मैदान थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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लाठीचार्ज पर सियासत तेज़
जेपी गोलंबर पर लाठीचार्ज के बाद पुलिस, मीडिया और यूट्यूबर्स नजर आए। बीपीएससी परीक्षार्थियों के निशान के रूप में वहां कुछ पुरानी हवाई चप्पलें और फटी हुई तख्तियां छूटी थीं।
इस लाठीचार्ज के बाद ही सियासत तेज़ हो गई है.
बिहार के प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने फेसबुक लाइव में कहा कि इस सर्दी में पुलिस की लाठीचार्ज से लोग डर गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार तानाशाही तरीके से काम कर रही है और बीपीएससी आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। उनके अनुसार, ‘बी टीम’ के माध्यम से इस आंदोलन को खत्म करने की साजिश चल रही है।
दूसरी ओर, जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि यह सब एक सुनियोजित योजना के तहत हो रहा है। उन्होंने बताया कि सभी तथ्यों की जांच की जा रही है और यह भी देखा जा रहा है कि फंडिंग कौन कर रहा है।
शिक्षक खान सर शुक्रवार को BPSC की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मिलने पहुंचे। लेकिन जब वे सैकड़ों अभ्यर्थियों संग वहां से रवाना हुए, तो छात्रों ने नाराजगी जाहिर की।
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