Indus Treaty: प्रधानमंत्री मोदी ने सिंधु जल संधि पर अपना महत्वपूर्ण बयान दिया है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है। बिना सिंधु जल संधि का नाम लिए पीएम मोदी ने कहा पहले भारत का पानी बाहर जाता था। अब वह पानी भारत के हित में रुकेगा और देश के काम आएगा। पीएम मोदी ने संकेत दिए कि भारत अपने पानी के बंटवारे पर अब कड़ी नजर रखेगा। यह कदम देश की जरूरतों को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को पाकिस्तान के साथ खत्म कर दिया है। इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से बोलते हुए कहा। उन्होंने कहा- पहले भारत का पानी बाहर चला जाता था, अब उसे भारत के हित के लिए रोका जाएगा और इस पानी का उपयोग देश की जरूरतों में किया जाएगा। इसका मतलब है कि जो पानी पहले सीमा के बाहर, जैसे पाकिस्तान या बांग्लादेश में बह रहा था, अब भारत सरकार उसे रोकने और देश के काम में लाने की योजना बना रही है।
Indus Treaty: हम राष्ट्र को सबसे पहले रखते हैं- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, एक समय था जब लोग सोचते थे कि उन्हें कदम उठाने से पहले दुनिया क्या सोचेगी। वे यह भी सोचते थे कि हमें वोट मिलेगा या नहीं, हमारी सीट सुरक्षित रहेगी या नहीं। इसी वजह से बहुत से बड़े बदलाव देरी से होते थे। कोई भी देश इस तरह नहीं आगे बढ़ सकता। जब हम देश को सबसे ऊपर मानते हैं, तभी तरक्की होती है।
Indus Treaty: भारत ने सिंधु जल संधि रोकने का किया फैसला
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने सिंधु जल संधि रुकवाने का फैसला किया है। यह समिति सरकार की सबसे ऊपर की सुरक्षा योजना बनाती है। भारत ने साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को नहीं रोकेगा, तब तक संधि नहीं चल सकती। यह भारत का इस संधि पर पहली बार रोक लगाना है। यह एक बड़ा बदलाव है उसकी कूटनीति में। पिछले कई सालों से तनाव के कारण समय-समय पर इसकी समीक्षा होती रही है, फिर भी यह अभी तक नहीं रुकी थी। अब सरकार ने अपने रुख को बदला है और इसे रोकने का फैसला लिया है।
Indus Treaty: क्या सिंधु जल संधि?
सिंधु जल संधि के अनुसार, भारत 1960 से पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का बहुत सा पानी देता आ रहा है। वहीं, सतलुज, रावी और ब्यास नदियों का पानी भारत ही अपनी जरूरतों के लिए उपयोग करता है। हाल के वर्षों में यह बहस बढ़ी है कि भारत को अपने हिस्से का पानी पूरा इस्तेमाल करना चाहिए। इससे खेती, पीने का पानी और बिजली के लिए जल की उपलब्धता में सुधार हो सकता है।
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Author: UP Tak News
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