क्या भारत और कनाडा के संबंध टूटने की कगार पर आ गए हैं, क्या कह रहे हैं विदेशी मामलों के एक्सपर्ट
Canada Highlight : क्या भारत और कनाडा के संबंध टूटने की कगार पर आ गए हैं, क्या कह रहे हैं विदेशी मामलों के एक्सपर्ट
आज भारत और कनाडा के बीच स्थापित राजनयिक संबंध टूटने की कगार पर आ गए है।
UP TAK NEWS, New Dilhi: भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को भारत से 19 अक्तूबर तक वापस जाने के लिए कहा है, तो वहीँ कनाडा ने भी कहा है कि उसने भी भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा समेत और अन्य छह राजनयिकों को कनाडा से निष्कासित कर दिया है.
दोनों देशों के बीच तनाव किस हद तक बढ़ेगा और इसका अंत क्या है? अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर नज़र रखने वाले दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव पर काफ़ी कुछ कह रहे हैं.
अमेरिकी थिंक टैंक द विल्सन सेंटर में साउथ एशियन इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर माइकल कुगलमैन मानते हैं कि मौजूदा हालात में भारत के कनाडा के साथ कूटनीतिक संबंध पाकिस्तान से भी बदतर हो गए हैं.
माइकल कुगलमैन ने एक्स पूर्व में ट्विटर पर अपनी पोस्ट साझा करते हुए लिखा है, ”भारत के विदेश मंत्रालय का बयान बहुत तीखा है. ये ख़ालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा के प्रति भारत का गुस्सा पूरी तरह से जग ज़ाहिर करता हुआ नजर आ रहा है.
इस पूरे विवाद के बीच एक सवाल जो बार-बार उठ रहा है वो ये है कि भारत पर अमेरिका ने भी कुछ वैसे ही आरोप लगाए, जो कनाडा ने लगाए हैं. लेकिन समझ नहीं आता है कि भारत ने कनाडा को भी ऐसा ही जवाब क्यों दिया?”
इसको लेकर माइकल कुगलमैन ने एक्स पूर्व में ट्विटर पर लिखा है, वहीँ उन्होंने तीन कारण भी गिनाए हैं. उन्होंने लिखा है, “कनाडा और भारत के सम्बन्ध तो तो पहले से ही ख़राब थे. कनाडा खुलकर आरोप लगा रहा है. वहीं,अमेरिका ने अधिक विस्तृत सबूत दिए थे.”

दोनों देश एक दूसरे से नाराज़ :
उन्होंने एक अन्य ट्वीट को साझा करते हुए ट्वीट में लिखते हुए कहा है, “एक समय वो भी था जब भारत और कनाडा के रिश्तों में अपार संभावनाएं होती थीं. व्यापार, निवेश के मौक़े थे. लोगों के बीच ज़िंदादिली से भरे संबंध भी थे. हिंद प्रशांत क्षेत्र पर रणनीतिक क़रीबी थी. आज दिल्ली के संदेश से पता चलता है, उन्होंने बताया की कि जब तक ट्रूडो सत्ता में हैं, तब तक संबंधों को बचाया नहीं जा सकता है.”
कुगलमैन ने कनाडा की ओर से जारी एक बयान को भी असाधारण बताया है. उन्होंने कहा, “कनाडा की ओर से दिल्ली पर लगे सभी आरोपों की जानकारी जारी करना एक बेहद ही दुर्लभ क़दम है. लेकिन सबूतों का सार्वजनिक न होना एक ऐसा कारण था, जिसकी वजह से भारत लगातार कनाडा के आरोपों को ख़ारिज करता रहा है.”
हालांकि, कुगलमैन के एक ट्वीट को कोट करते हुए न्यूयॉर्क स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ अल्बनी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर क्रिस्टोफर क्लैरी लिखते हैं कि अच्छी ख़बर ये है कि ट्रूडो कनाडा में इतने अलोकप्रिय हो गए हैं कि अब उनके पास एक साल के अंदर चीज़ें बदलने का मौक़ा है.
क्लैरी ने कहा है कि अगले साल 2025 को जून में जी-7 देशों की बैठक कनाडा में होनी है. अबतक भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को लगातार पाँच बार से जी-7 देशों की ओर जी-7 की बैठकों में बुलाया जाता रहा है.
हालांकि, अब 2025 में कनाडा इस गुट की अध्यक्षता संभालेंगा. ऐसे में देखना होगा कि क्या कनाडा और भारत के साथ संबंधों को सुधारता जायेगा या फिर कनाडा इस बार मोदी को न बुलाने का जोखिम लेता है.

Author: UP Tak News
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