अब तो स्कूल भी डराने लगे! कहीं ऐसा तो नहीं प्रिंसिपल ने बच्ची को मार डाला तो कहीं शिक्षक निकला हैवान ?
महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन शोषण और बाद में आरोपी के मुठभेड़ पर मचा बवाल अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। वहीं स्कूलों में बच्चियों के यौन शोषण के मामलों ने सुप्रीम कोर्ट तक की चिंता बढ़ा को दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वे स्कूलों में केंद्र की गाइडलाइन लागू करें।

» बदलापुर स्कूल यौन शोषण मामले पर सरकार की कार्रवाई
महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन शोषण के मामले में सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कई कदम उठाए हैं:
- आरोपी को पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है।
- स्कूल प्रिंसिपल, एक क्लास टीचर और एक महिला स्टाफ सदस्य को निलंबित कर दिया गया है।
- बदलापुर पुलिस स्टेशन से जुड़े वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक, सहायक उपनिरीक्षक और हेड कांस्टेबल को कर्तव्य में लापरवाही के लिए निलंबित किया गया
- मामले की जांच के लिए महानिरीक्षक रैंक की आईपीएस अधिकारी आरती सिंह को नियुक्त किया गया
- ठाणे पुलिस आयुक्त को मामले की सुनवाई फास्ट-ट्रैक कोर्ट में करने का निर्देश दिया गया
महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में ‘विशाखा समितियों’ का गठन
स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कई अहम घोषणाएं कीं:
- स्कूलों में ‘विशाखा समितियों’ का गठन किया जाएगा, जिनमें छात्राएं अपनी शिकायतें उठा सकेंगी
- स्कूलों में लगे सीसीटीवी कैमरों के काम न करने पर कार्रवाई की जाएगी
इस मामले में विपक्षी दलों ने पुलिस की लापरवाही का आरोप लगाया है, क्योंकि पीड़ित लड़कियों के माता-पिता को शिकायत दर्ज कराने से पहले बदलापुर पुलिस स्टेशन में 11 घंटे तक इंतजार करना पड़ा.यह मामला अभी भी गरमाया हुआ है और स्कूलों में छात्रों के शारीरिक उत्पीड़न के कई अन्य मामले भी सामने आ रहे हैं. सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि बच्चों के साथ ऐसी घटनाएं न हों और उन्हें सुरक्षित स्कूल माहौल मिले.
बदलापुर में स्कूल प्रशासन की लापरवाही के बारे में कई गंभीर जानकारी सामने आई है, जो इस मामले की जटिलता और संवेदनशीलता को उजागर करती है:
- एफआईआर में देरी: पीड़ित बच्चियों के परिवार ने 16 अगस्त को पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में 12 घंटे की देरी की। यह देरी तब हुई जब बच्चियों ने स्कूल जाने से मना कर दिया था.
- स्कूल अधिकारियों की लापरवाही: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न केवल एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई, बल्कि स्कूल के संबंधित अधिकारियों ने भी समय पर शिकायत दर्ज नहीं की। कोर्ट ने कहा कि यदि स्कूल को मामले की जानकारी थी, तो पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी.
- पीड़ितों के बयान: केवल एक पीड़िता का बयान दर्ज किया गया था, जबकि दूसरी पीड़िता का बयान अभी तक नहीं लिया गया था। कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त की और पूछा कि क्या दोनों बच्चियों के बयान वीडियो रिकॉर्ड किए गए हैं.
- सुरक्षा उपायों की कमी: स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे, जो सुरक्षा के लिए अनिवार्य हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यदि कैमरे काम नहीं करते पाए गए तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
- विशाखा समितियों का गठन: सरकार ने स्कूलों में ‘विशाखा समितियों’ का गठन करने का निर्णय लिया है, ताकि छात्राएं अपनी शिकायतें सुरक्षित रूप से उठा सकें.
इस मामले में स्कूल प्रशासन और पुलिस की लापरवाही ने न केवल पीड़ित बच्चियों के साथ अन्याय किया, बल्कि समाज में भी गहरा आक्रोश पैदा किया है। कोर्ट और सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस बात को दर्शाते हैं कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है।

Author: UP Tak News
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