Punjab Police: अफसर के वाहन को साइड नहीं दिया तो, पैरासिटामोल की टेबलेट को नशे की गोली बताकर किया गिरफ्तार, कोर्ट ने दिया ऐसा आदेश, चौंक जायेंगे आप
पंजाब पुलिस ने गजब कारनामा किया। अफसर की गाड़ी को साइड नहीं दी तो पैरासिटामोल की गोली को नशे की बता एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। उसे अवैध हिरासत में रखा गया। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार पीड़िता को दो लाख मुआवजा दे।
पंजाब पुलिस के अधिकारी की गाड़ी को रास्ता न देना कपूरथला के एक व्यक्ति को बहुत भारी पड़ा। पुलिस ने उसे एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार कर सलाखों में बंद कर दिया। हालांकि फोरेंसिक रिपोर्ट में भी पुष्टि हो गई थी कि उसकी जेब में पैरासिटामोल थी, ना कि कोई नशे की गोली।
इसके बावजूद उसे अवैध हिरासत में रखा गया। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़ित व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को फटकार लगाई। कोर्ट ने इसे अत्याचार मानते हुए पंजाब सरकार को आदेश दिए कि वह पीड़ित को दो लाख मुआवजा दे।
साथ ही डिजिटल रिकॉर्ड में याची का नाम छिपाने का आदेश दिया है। कपूरथला निवासी याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर एनडीपीएस के मामले में नियमित जमानत देने की मांग की थी।
याचिका कर्ता ने कहा कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया क्योंकि उसने पंजाब पुलिस के एक अधिकारी को रास्ते में नहीं रोका था, जो उसकी कार के पीछे चल रहा था। यह घटना 24 जून, 2024 को हुई, और एफआईआर दो दिन बाद, 26 जून को दर्ज की गई। पुलिस ने इस दौरान उसे अवैध रूप से बंधक बनाए रखा।
उसके परिवार के सदस्यों को भी इसकी सूचना नहीं दी। 13 सितंबर को पंजाब सरकार ने फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपी, जिसके अनुसार जब्त सामग्री एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) थी।
याचिकाकर्ता को 2 महीने और 15 दिन की वास्तविक हिरासत में रखने के बाद हाईकोर्ट ने 13 सितंबर को नियमित जमानत दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट 31 अगस्त को मिल गई थी। उसके बावजूद पीड़ित को 17 सितंबर को हाईकोर्ट के आदेश के बाद छोड़ा गया।
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि इस मामले में कैंसिलेशन रिपोर्ट पेश की गई है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच की जा रही है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उसे गलत तरीके से गिरफ्तार किया जाता है, तो राज्य को मुआवजा देने की जिम्मेदारी निभानी होगी।
Punjab Police: तल्ख टिप्पणी: पुलिस की मनमानी से परेशान हैं
उच्च न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों द्वारा शक्ति के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की। ऐसे गंभीर उल्लंघनों को देखना चिंताजनक है, खासकर तब जब कानून को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार लोग अपने कर्तव्य में विफल हो रहे हों। न्यायालय ने इस व्यवहार को अस्वीकार्य और बेहद चिंताजनक पाया।
अदालत ने कहा कि दोषी अधिकारियों की गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि न्याय और कानून के पालन के लिए जिम्मेदारी जरूरी है। कोर्ट ने आदेश दिया कि मुआवजे का 50% हिस्सा दोषी अधिकारी सब इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह की तनख्वाह से लिया जाए। पुलिस ने याचिकाकर्ता के मूल अधिकार का उल्लंघन किया है और इसने शक्ति के गलत इस्तेमाल को भी दिखाया है।
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Author: UP Tak News
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